मुझे हिंदी में लिखने में मज़ा आता है | और पढ़ने में भी | हिंदी क्यूंकि मेरी mother tongue है, जुबान पर यूँ ही बड़ी सरलता से चली आती है | अपनी माँ से जितना प्रेम होता है , उतना ही अपनी mother tongue से | mother tongue का मतलब मातृ भाषा, माँ की भाषा – वो भाषा जो हम स्कूल जाने से पहले सीख लेते हैं| जिसको सीखने के लिए ना grammer पढ़ने की जरुरत, ना ट्रेनिंग की | बस घर-माहौल में पलते-बढ़ते सीखते हैं|
भाषा चाहे कोई भी हो वो सबसे पहले एक संपर्क का साधन है| जब भाषा बोली या लिखी जाये, वो समझ में आये| उसको पढ़ने के लिए और समझने के लिए सरलता हो| इसलिए आजकल हिंदी में शुद्ध हिंदी के बजाय हिंगलिश ज्यादा अच्छे से समझ में आती है | हमारे आधे वर्ड्स तो हिंदी में और आधे इंग्लिश में होते हैं |
so, let’s not argue on that ! let’s move on. आप हिंदी से प्यार करो और इंग्लिश को सीखो| हिंदी से दूर मत जाना मगर इंग्लिश में एक्सपर्ट जरूर बनो | दुनिया तभी आपका लोहा मानेगी जब आप अपनी बात उनकी जुबान में कह पाएँगे|
मैं बचपन में हिंदी लिखने और पढ़ने में बहुत आगे था अपनी क्लास में | मुझे आप exceptional की category में डाल सकते हो| जो भी मेरी हिंदी टीचर होती वो मुझे बहुत like करती| मुझे याद है कि मैंने अपना पहला prize हिंदी में ही जीता था | It was about the dowry system| पापाजी ने हेल्प की थी उसको लिखने में और तैयारी करने में|
मगर हिंदी को मैंने बचपन से ही बेइज़्ज़त होते देखा है| अभी तो फिर भी इंटरनेट के आने से और हिंदी में कंटेंट creators की धूम से माहौल कुछ pro-hindi हुआ है| पहले तो हिंदी में बोलने और पढ़ने वाले को पिछड़ा और गरीब समझा जाता | लेकिन जो इंग्लिश में बोलते तो उन्हें respect और status के साथ| मेरे दिमाग में पूरी बात पल्ले पड़ने में कई साल लगे मगर तब यही समझ में आया कि अगर respect और status कमाना है तो english को पढ़ो और इंग्लिश को इस्तेमाल में लाना सीखो |
Today, I am glad I can tell you that I have respect and status, but my first love remains my mother tongue. मुझे प्यार है हिंदी से जिसे मैंने अपनी माँ से सीखा| हिंदी बनाम इंग्लिश की debate फ़ालतू की debate है| इससे दूर रहे और English जरूर सीखें | हिंदी से divorce लेने की जरुरत नहीं|
मैंने बहुत सोचा कि ब्लॉग को हिंदी में बनाऊं या इंग्लिश में | फिर मैंने तय किया कि मैं ये ब्लॉग उनके लिए लिख रहा हूँ जो हिंदी भाषी हैं और जो इंग्लिश को सीखने में interested होंगे | So, I decided to keep it in the most natural form. So, ये ब्लॉग हिंगलिश में है|
क्यूंकि मेरा मेरा मकसद है कि आप इंग्लिश और हिंदी दोनों की तरफ balanced attitude develop करें| ऐसी भाषा में लिखने से क्या फायदा कि आधा समय dictionary से शब्द खोजने में लग जाये|
दोनों ही भाषाओँ में बहुत कुछ ख़ास है | हिंदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है| वहीँ इंग्लिश पूरी दुनिया में बोली जाने वाली सबसे आम भाषा है | यदि आपको हिंदी आती है तो आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं, कोई तो मिल ही जायेगा हिंदी बोलने वाला| वैसे ही दुनिया के हर कोने में इंग्लिश का बोल बाला है|
Fluency
घर पर इंग्लिश में अखबार आता है| मेरा फेवरेट newspaper है – The Hindu | नाम जरूर hindu है मगर ये कोई धार्मिक अखबार नहीं है | अगर आपको अपनी इंग्लिश improve करनी हो, नए शब्दों का सुन्दर उपयोग सीखना हो और ज्ञान बढ़ाने वाला अख़बार पढ़ना हो तो, read The Hindu! मुझे याद है कि I started reading the newspaper when I was in my 9th std in school. आप जितना newspaper पढ़ेंगे, उतना आपकी इंग्लिश fluent बनेगी|
इंग्लिश में fluency लाने के लिए जरुरी है कि शब्दों और वाक्यों का उपयोग सीखें | practical usage सीखना ज्यादा जरुरी है fluency के लिए | नियम कितने भी सीख लें| जब तक पानी में नहीं कूदेंगे तब तक तैरना और बढ़िया तैराक बनना कैसे सीखेंगे|
क्यूंकि अखबार समसामयिक ख़बरों का पिटारा होता है, आपको शब्द समझ में ना भी आये, आपको बातें जरूर समझ आएंगी| और जब आप regularly newspaper पढ़ेंगे तो आपको correct sentence structures समझ में आने लगेंगे| फिर आप कौन सा नियम कहाँ लगा है, उसकी जानकारी नहीं भी होगी मगर सही और गलत sentence structure को आप बड़ी आसानी से पकड़ लेंगे |
ये बात उसी तरीके से लागू होती है जैसे एक मैकेनिक जो कभी स्कूल या कॉलेज नहीं गया मगर एक B.Tech की डिग्री लेने वाले इंजीनियर से कहीं ज्यादा दक्ष होता है – simply because he has got the working knowledge.
इंग्लिश का वर्किंग नॉलेज जरुरी है | आप नियम कितने ही पढ़ लें | याद रहे कि तैराकी स्विमिंग पर किताब पढ़ने से कभी नहीं आएगी|
To learn, you need to dive
behtarzindagi.org
इंग्लिश बोलने के लिए spoken english का कोर्स करना बेकार idea है| spoken english यानि बोलचाल की इंग्लिश का सबसे बढ़िया लैब है ये दुनिया| आप अपने आस पास ऐसा फ्रेंड सर्किल बना लें जो इंग्लिश बोलने में interested हों | जिनको आपकी तरह इंग्लिश बोलने की प्रैक्टिस करनी हो| You see, spoken english is all about practice! जितना प्रैक्टिस करोगे, उतने fluent बनते चले जाओगे|
बोलते समय कोशिश करें कि आप अपनी बोलचाल में MTI का उपयोग ख़तम करना सीखें | MTI का मतलब mother tongue influence यानि इंग्लिश एक्सेंट(बोलने के स्वर) में आपकी बोली भाषा का प्रयोग| मतलब हिंदी के उच्चारण को इंग्लिश में थोपना | इंग्लिश की एक्सेंट हमारी बोली भाषा से अलग होती है | आपको अपना ये लक्ष्य रखना है कि इंग्लिश बोलें तो कोई ये ना कहे कि तुम फलाने जिले या राज्य के हो क्या ?
मतलब संतुलित| आपको ब्रिटिश या americans को कॉपी नहीं करना है| हर जगह का इंसान अपने ही अंदाज़ में इंग्लिश बोलेगा | यही ख़ास बात होती है International language की| एक्सेंट को ऐसे रखें कि शब्द समझ में आएं | हर तरह की इंग्लिश एक्सेंट को respect और status मिलता है|
After all, we are here to communicate, not to confuse!
And English is the most effective mode to communicate in today’s inter-net(inter-connected) world.
हिंदी एक दिल चस्प भाषा है| दिल के ऐसे कई उदगार हैं जो हिंदी में ही उभरते हैं| आपका क्या ख्याल है| हिंदी में आज इंटरनेट पर ढेर सारा कंटेंट बन रहा है और हिंदी का परचम इंटरनेट पर लहराएगा| हिंदी को भूलने की नहीं, re-invent करने की जरुरत है| हिंदी को जितना हो सके इस्तेमाल करें| हो सके तो घर पर अपनी बोली ही बोलें|
कैसा लगा आपको हिंदी इंग्लिश में सामंजस्य बिठाता ये ब्लॉग पोस्ट? Please put your comments below.