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द हाउ ऑफ हैप्पीनेस :

मानव का इतिहास 5,000 साल से भी ज्यादा पुराना है। इसका मतलब ये हुआ कि ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका सामना हमसे पहले की पीढ़ियों ने नहीं किया होगा। तकरीबन हर समस्या, है चुनौती का समाधान खोज लिया गया है।

और ये समाधान हमे मिलता है लिखी हुई किताबों में। ऐसी ही एक एक समस्या है या फिर कहें कि चुनौती है जिसका समाधान सब चाहते हैं और वो है : खुशी । हमें खुशी कैसे प्राप्त हो? हम ऐसा क्या करें , क्या सोचें या ऐसा क्या प्राप्त कर लें कि हम अपने जीवन को खुशमय बना सकें।

जब मैने कुछ सालों पहले तन्मयता से खुशी को खोजने की कोशिश की तो मैंने कई किताबों को पढ़ा। और सच मुच मेरे कई सवाल जो कई सालों से मेरे अंदर बवंडर बनकर घूम रहे थे उनका हल मिल गया।

ऐसी उनमें से एक किताब है: द हाउ ऑफ़ हैप्पीनेस (The How of Happiness 😊)

द हाउ ऑफ़ हैप्पीनेस को लिखा है एक अमरीकी लेखिका ने जिनका नाम है सोंजा ल्यूबोमिर्स्की। सोनजा ल्यूबो मिर्स्की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में मनोविज्ञान की प्रोफेसर हैं। ये किताब 2007 में पब्लिश हुई।

Sonja Lyubomirsky – The How of Happiness

लेखिका कहती है कि ये कोई सेल्फ हेल्प बुक नहीं है। ये कोई लाइफ कोच की एडवाइस नहीं है। बल्कि ये किताब आपको खुशी होने और रहने के वैज्ञानिक तरीके बताता है। इसलिए इसे आप खुशी के विज्ञान की तरह समझें। में तो समझता हूं कि इस सूरत में इस किताब का नाम होना छाइए था: The science of happiness.

खैर, नाम में क्या रखा है। असली बात तो किताब के अंदर है जो एक जैसे ही रहेगी। चलिए पोस्ट में आगे बढ़ते हैं।

किताब को तीन भागों में बांट दिया है। पूरी किताब को 10 छोटे छोटे चैप्टर्स में बांट दिया। पहले भाग में दो चैप्टर्स हैं, दूसरे में 2 से 9 चैप्टर हैं और तीसरे भाग में एक।

द हाउ ऑफ़ हैप्पीनेस के पहले भाग में लेखिका ने रियल हैप्पीनेस के बारे में बताया है। उनका कहना हैं कि रियल हैप्पीनेस कुछ और ही होती है जो लंबे समय तक जीवन में बनी रहती है। तो उन्होंने इस भाग में कुछ सवाल उठाए हैं और उनका जवाब दिया है। वैज्ञानिक दृष्टि से!

वो शुरुआत करती हैं इस सवाल से कि क्या सचमुच खुश रह सकते हैं हम या फिर ये एक सोच है जो सबके लिए निर्धारित नहीं है। फिर ये पूछती हैं और उसका जवाब देती हैं कि हमारी खुशी का माप क्या है। और फिर तीसरे चैप्टर में बताती हैं कि किस तरह हम सब अपनी खुशी को अपनी जरूरत, अपने ख्वाबों और अपने मूल्यों के आधार पर खोज सकते हैं।

दूसरे भाग में उन्होंने 6 चैप्टर में 6 तरीके बताए हैं जिससे हम अपनी लाइफ में खुशी पा सकेंगे। तो वो 6 उपाय हैं:

  • सकारात्मक सोच रखें
  • अपने सामाजिक संबंधों को मधुर बनाएं
  • अपने तनाव को मैनेज करना सीखें
  • वर्तमान में रहें
  • लक्ष्यों को निर्धारित करें और उनके प्रति वफादार बनें
  • अपने तन, मन का खयाल रखें

और फिर लेखिका ये भी बताती हैं कि इन सभी को किस तरह करें। वो एक कंप्लीट गाइड प्रस्तुत करती हैं।

तीसरे अध्याय में वो ऐसे पांच उपाय बताती हैं जो उनकी खुशियों को बरकरार रखें। इस तरह किताब को सिस्टेमेटिक तरीके से लिखा गया है।

किताब को समझना बहुत सरल है। मगर उसका अभ्यास उतना ही कठिन। इसलिए हम अक्सर अपनी खुशी खोज नहीं पाते।

ये किताब अंग्रेजी में सभी ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स पर उपलब्ध है। यदि आप चाहें तो नीचे क्लिक करके अपनी पुस्तक ऑर्डर सकते हैं।

मैं इस किताब को एक रिफ्रेंस गाइड के रूप में देखता हूं। मैं इसे एक बार में या एक साथ लगातार नहीं पढ़ सकता हूं जैसे कोई उपन्यास हो। मैं इसे कभी भी कहीं से भी, किसी पन्ने से पढ़ने लग जाता हूं।

मेरी मानें तो आपको ये किताब पढ़नी चाहिए। कम से सिराहने रखनी ही चाहिए। और जब कभी मन करे खुशी के विज्ञान को जानने का, पलट के दो पन्ने पढ़ लें। अभी ये किताब सिर्फ इंग्लिश में ही उपलब्ध है।

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