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क्यूँ खुद को दूसरों की तरह बनाना चाहते हो|

क्यूँ खुद को दूसरों की तरह बनाना चाहते हो|  

पता है क्या आपको कि आप कितने बेजोड़ हो, आप कितने unique हो, आप कितने ख़ास हो|  फिर भी अपने आपको उसी तराजू में क्यूँ तौलना चाहते हो जो तुम्हारे लिए बना ही नहीं|  

ज़रा सोच कर देखो,

सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन जी के बारे में|  

बच्चन साहब को AIR यानि के आल इंडिया रेडियो में काम करने का शौक था|  इसलिए जब उन्होंने अपनी पढाई ख़त्म की तो तुरंत उन्होंने रेडियो में काम करने के लिए आवेदन दिया और इंटरव्यू देने पहुँच गए|  

तब उस जमाने में अमीन सयानी रेडियो की दुनिया के बहुत बड़े सेलेब्रिटी हुआ करते थे|  उन्होंने अमिताभ बच्चन का इंटरव्यू लिया| अमिताभ जी की आवाज़ की गूँज आज दुनिया भर में मश हूर है|  अमिताभ जी की आवाज़ उनकी ख़ास पहचान है|  लेकिन तब उन्हें सयानी साहब ने रिजेक्ट कर दिया और कहा कि आपको रेडियो में काम नहीं दिया जा सकता क्यूंकि आपकी आवाज में भारीपन है|  

शायद वो ठीक ही कह रहे थे|  अमिताभ की आभा शायद रेडियो में ही सिमट कर रह जाती और हम आज भी अपने सदी के महानायक की खोज कर रहे होते|  

अमित जी को अभिनय का शौक था|  सो उन्होंने मुंबई का रुख किया और फिर चले आये सपनों कि दुनिया में अपनी किस्मत बनाने|  जी हां अजमाने नहीं बल्कि बनाने|  

अमिताभ जी की छह फुट की लम्बाई! भाई साहब कौन उन्हें एक्टर के रूप में देख सकेगा?  फिल्मस्टार तो दूर की बात है|  उन्हें अपनी ऊंट जैसी ऊंचाई और आवाज के भारीपन का जरा भी इल्म नहीं था कि वो उनकी किस्मत में कंटक हैं|  

वो जान गए थे जीवन के सत्य को कि लोग आपकी शक्ल को पहले देखते हैं मगर अक्ल और हुनर की ही इज्ज़त करते हैं|  सो लगे रहे|  सात लगातार बेक टू बेक फ्लॉप फ़िल्में देने के बाद भी जब उनकी किस्मत उन्हें वापस नहीं लौटा पाई तो किस्मत को बदलना पड़ा|  

अमित जी ने अपनी कमजोरी दिखने वाली चीजों को अपनी ताकत माना और अपनी उन बेजोड़ प्रतिभाओं का जो फायदा लिया वो शायद कभी न ले पाते अगर वो ये मान जाते कि दुनिया वाले उन्हें सही बता रहे हैं और उन्हें कभी स्वीकार नहीं करेंगे|  

आप अपने आप को किसी के स्वीकारने का मोहताज न बनायें|  

खुद को एक्सेप्ट करें, आप जैसे भी हैं और जो भी हैं आप बेजोड़ हैं|  अपने हुनर को पहचाने और खूब सवारें|  

क्या हमें अग्निपथ जैसी फिल्म मिल पाती, क्या हम जंजीर के विजय को मिल पाते और क्या हम जय और डॉन से कभी रू बरु हो पाते|  शायद मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता अगर अमिताभ बच्हन ने give up कर दिया होता|  

जिद करो यारों|  मत मानों किसी की ओछी बातो को|  

जीत उन्ही की होती है जो खुद पर विश्वास और नाज़ करते हैं|  भला सोच कर देखिये कि जो खुद को ही स्वीकार नहीं करेगा उसे दुनिया कैसे स्वीकार करेगी|  

आपको लोगों से सर्टिफिकेट लेने के बजाय खुद पर काम करना चाहिए|  जीवन ही सबसे बड़ी और उत्तम पाठशाला है|  इससे बढ़कर कोई और जगह नहीं जहाँ आप रोज़ हर पल कुछ सीख सकते हैं|  

किताबों में वो लिखा है जो हो चुका है|  लेकिन ज़िन्दगी में वो है जो घाट रहा है|  इसलिए अतीत वर्तमान से ज्यादा शक्तिशाली नहीं हो सकता|  अतीत मृत है और वर्तमान शक्तिमान है क्यूंकि वर्तमान में आप जो कदम उठाएंगे वो आपके भविष्य का रास्ता बनायेंगे|  

ईश्वर से मैं अक्सर शिकायत किया करता|  मैं खुश नहीं रहता|  दूसरों को देखकर अपनी उनसे तुलना किया करता|  उनके पास क्या है जो मेरे पास नहीं है|  वही नोटिस किया करता|  

जब आप फोकस दूसरों के नज़रिए पर होता है तब आप अपना खुद का नजरिया नहीं बना सकते|  ऐसा इसलिए क्यूंकि जितनी तरह के लोग मिलेंगे वो उतनी तरह के विचार के मिलेंगे|  ऐसे में आप किस किसको संतुष्ट कर पाएंगे|  

आपको सिर्फ एक ही इंसान को बताना है और मनाना है वो है खुद को|  अगर आप मान गए कि जो आप कर रहे हैं वही आप करना चाह रहे थे तो बस उसी पल से ये दुनिया आपकी हो जाएगी|  

जब हम दूसरों के देखकर अपने अन्दर अभाव महसूस करते हैं तो हमको अपने आपसे चिड होने लगती है|  हम खुद को पसंद नहीं करते|  और उस नापसंद को हीनता से व्यक्त करते हैं|  तब हमें कर चीज़ में नुक्स निकालने की आदत पड़ जाती है|  

खुद पर इतनी इमानदारी से काम करें कि कभी कहीं चेहरा शर्म से छिपाना न पड़े|  और जो खुद को स्वीकार कर लेता है वो दुनिया के लिए स्वीकार्य हो जाता है|  यही से शुरुआत करें|  

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