आपका विश्वास( belief) जो है ना कमाल का जादू(magic) करता है| जब हम प्रेरक फ़िल्में देखते हैं तो कुछ ऐसा ही magic हम अपने अन्दर भी महसूस करते हैं|
mission mangal में एक गाना है जिसके कुछ बोल कुछ इस तरह हैं:
“कहते थे लोग जो,
काबिल नहीं है तू
देंगे तुझे वही,
सलामियाँ”
ये शब्द जब मेरे कानों में पड़ते हैं, मेरे रोंगटे खड़े हो जाते|
इन शब्दों को सुनकर जैसे मुझे अपनी ही संघर्ष की यादें आ जाती| कई बार सामना किया है “नाकामयाब” शब्द का|
आप कैसे नाकाबिल हो सकते हैं| इस दुनिया में कोई भी नाकाबिल नहीं है| हम सब कुछ न कुछ टैलेंट अपने अन्दर लेकर ही पैदा हुए हैं| आसान था क्या करोड़ों स्पर्म को पीछे छोड़कर इस दुनिया में पैदा होना| ये विश्वास मुझे पापा जी ने बचपन में ही दिला दिया था|
मगर दुनिया में आपको अपनी क़ाबलियत साबित करने की जरुरत पड़ती है| कोई ना मानेगा कि आप काबिल हो, कामयाब हो जब तक वो उस आग, उस चिंगारी को देख ना लें|
और शायद ये सही भी है| दुनिया आपको नाकामयाबी कि तरफ धकेलेगी| आपसे कहेगी कि तुम नाकाबिल हो| और तुम पर ठहाके मारकर हँसेगी| इतना कि तुम शर्म से मुह छिपा लो|
मगर मेरे दोस्त बस तुम्हे यही तो याद रखना है| आपको यही याद रखना है कि उनका फैसला फाइनल नहीं है| वो हंसी, वो उपहास तुम्हारा अंत नहीं, तुम्हारी शुरुआत हो – कुछ कर गुजरने की|
अपने भी देखा होगा वो कार्टून जिसमे भारत का मजाक उड़ाया|
“ ये ढोल गंवार देखो, ये ग्वाले स्पेस में जाने का सपना देख रहे हैं”
बस यही गलती कर दी उस न्यू यॉर्क टाइम्स के कर्तुनित ने| उसने हमारी क़ाबलियत को ओपन चेलंज दे दिया| फिर जो हुआ आप सब आज देख रहे हैं| आज भारत चन्द्रमा के उस कोने में अपने चंद्रयान की soft landing करवा दी जहाँ पर अभी दुनिया सोच ही रही थी|
कुछ इस तरह मिर्ची लगी हमारी कामयाबी को देखकर कुछ देशों को कि कहने लगे,
“ये गरीब, असह्याय, बेसहारा देश| हमने इसे आर्थिक मदद दी और ये तो उस पैसे से अंतरिक्ष में घूम रहे हैं|”
किसी ने सच ही कहीं लिखा है कि इर्ष्य भी कमानी पड़ती है – दुनिया के नाकाबिल tag को उखाड़ कर फेंकने पर ही ये इर्षा मिलती है| इर्षा उसी से होती है जो हमारे नाउम्मीदों के खिलाफ जाकर बाजी मार लेता है| जिसे हम बाज़ीगर कहते हैं|
मेरे दोस्तों आप भी अपने आत्मनिर्भर देश कि तरह बाज़ीगर बनो| अपने पैर जमीन पर रखो और निगाहें सितारों पर|