दिल खोलकर किसी की तारीफ करना सीखो |
हम अक्सर ये नहिं करते| हम दूसरों की कामयाबी में कहीं ना कहीं अपनी खुद की नाकामयाबी को देख लेते हैं| और दिल खोलकर उसकी तारीफ करने से पीछे हट जाते हैं|
हम मैसेज पूरा पढ़ते हैं और फिर उसे इग्नोर कर देते हैं| ऐसा खासकर वहाँ होने के चान्स ज्यादा रहता है जहां पर लोग एक दूसरे से किसी रूप में जुड़े होते हैं|
दूसरों को कामयाब देखकर हम जलन भी महसूस करते हैं| कोई हम उम्र का हमसे आगे निकल जाए तो बरदाश्त भी नहिं कर पाते|
अपनी खुद की तुलना करने वाले वो लोग शायद ये नहिं समझ पा रहे कि वो खुद क्या हैं| जिनको अभी अपनी खुद की पहचान खुद को ही नहिं पता वो खुद से बेख़बर लोग दूसरों की कामयाबी में अपनी नाकामयाबी देखेंगे|
इसलिए खुद की तुलना किसी दूसरे या तीसरे से नहिं करो| अपनी खुद की पहचान को तलाशो| खुद पर काम करना खुदा की इबादत करने के बराबर है मेरे दोस्त |
और दूसरों की कामयाबी में खुद को डूबोना सीखो| ये जिंदगी की रेस किसी और के साथ नहिं, सिर्फ खुद के साथ करो | अपने बीते हुए कल से आने वाले कल को बेहतरीन करो|
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