जब आपके साथ कोई अप्रिय घटना घटे तो आप क्या करेंगे? क्या आप अपने आप को कोसेगे या दूसरों को कोसेगे | या कुछ और?
अक्सर हम कोसने लगते हैं – खुद को या फिर दूसरों को | हम ये इसलिए करते हैं क्यूंकि हम ये सोचते हैं कि समस्या के लिए कोई ना कोई जिम्मेदार तो है! हम किसी व्यक्ती विशेष को गुनाहगार मान लेते हैं|
लेकिन क्या हो यदि हम लोगों को कोसने के बजाय परिस्थितियों को पहले एक बार समझ लें| कई बार परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं कि उन्हें ही हम जिम्मेदार ठहरा सकते हैं|
देखिए – यदि आप किसी व्यक्ति विशेष को दोषी मानेंगे तो हो सकता है कि आप उसे बदल ना सकें| मगर परिस्थितियों को बदला जा सकता है|
जब हम किसी परिस्थिति को समझ जाते हैं तो उसका सामना करना या उसे हैंडल करना असान हो जाता है बजाय इंसान को |
और यदि परिस्थिति ऐसी होती है कि आप के बस में नहिं तो आप को इस बात का सुकून रहता है|
खुद को दोष देने से अपना मनोबल कमजोर होता है और दूसरों को दोष देने से रिश्ते कमजोर होते हैं| हर इंसान की परिस्थितियों और दूसरे इंसानों के साथ ताल मेल बिठाने की क्षमता अलग अलग होती है |
इसलिए किसी भी व्यक्ति विशेष को दोषी करार देने से हमारी समस्या का हल नहिं मिल सकता|
दोष तो हमें ना किसी इंसान को और ना किसी परिस्थिति को देना है क्यूंकि जब आप ऐसा करते हैं तो आप ये मान लेते हैं हैं कि आपका उनके ऊपर कोई कंट्रोल नहिं हैं| और इसलिए ऐसे में आप अपने आपको असहाय पाएंगे|
समझदार इंसान दोषी नहिं दोष को ढूंढते हैं| वो ये जानते हैं कि दोष दूर arne के लिए दोषी इंसान या परिस्थिति नहिं ब्लकि और भी कई कारक हो सकते हैं|
कई बार जब हम दोष को ढूंढते हैं तो हम पाते हैं कि उसमे हमारी अज्ञानता छुपी थी| हम अपने आप में इतने जागरूक नहिं होते कि इंसानों और परिस्तिथियों को सही रूप से समझ सकें|
जब ये बात समझ में आए तो आप अपने अनुभव को उस अप्रिय घटना, के बाद बढ़ायेंगे| लेकिन सिर्फ अनुभव बढाने से आपकी जिंदगी बेहतर नहिं बनेगी, आपको नए उपाय और नई सोच जो आपको ऐसे लोगों और परिस्थितियों को हैंडल करने में मददगार हो, उन्हें खोजना होगा|
इस लिए अपनी लर्निंग पर ध्यान दें| किसी भी अप्रिय घटना से आप सकारात्मक क्या सीख सकते हैं इस बात पर हमेशा ध्यान दें|
क्या आपके साथ कोई अप्रिय घटना घटी है जिससे आपने कुछ सकारात्मक सीख ली हो तो comments में जरूर शेयर करें |