आज जब मैं अपनी स्कूटी पर घर लौट रहा था तो मुझे एक बात जहां में आई| आइए उसी पर बात करते हैं –
क्या जो मैं कर रहा हूं वो लोगों को पसंद आएगा?
ये सवाल मैं अपने आप से पूछते रहा हूं | क्या मैं जो कर रहा हूं उसमें कोई फायदा है| मुझे कितना समय देना होगा अगर मैं ये रास्ता अपनाता हूं| क्या बहुत समय लगेगा? क्या मुझे उस रास्ते पर चलने के कामयाबी मिलेगी?
मतलब कुल मिलाके मुझे वो काम करना चाहिए या नहिं?
और अक्सर मैंने अपने ऊपर भरोसा कम ही किया है | मैंने अपनी लाइफ में ज्यादा समय दिया है दूसरों को सुनने और उनको फॉलो करने में| मैं कामयाबी से आकर्षित हो जाता हूँ और शायद हममे से ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा होगा| सवाल फिर उठता है – क्यूँ?
ऐसा क्यूँ? क्या है मकसद? या फिर क्या गई मंजिल?
और जब मैं घर और ऑफिस से बराबर की दूरी पर पहुंचा तो दिमाग का ढक्कन खुला और जैसे सवालों के जवाब मिले गए | और ये जवाब बिल्कुल specific था कि मुझे ब्लॉगिंग kyun करनी चाहिए|
तो मुझे जवाब मिला कि शायद मैं इसलिए परेशान हो जाता हूँ कि मेरे आस पास ऐसे लोगों का जमावड़ा है जो शायद मेरी सोच से जुड़ नहिं पाते| लेकिन मैं अपने आपको अभी तक यही सोचकर परेशान रहता था कि मिन शायद काबुल नहिं| मैं ऐसा इसलिए कर्ता रहा क्यूंकि मैं अपने आपको उन लोगों की आंखों में कामयाब नहिं देख पाया जिनकी आंखें मेरे करीब हैं|
लेकिन आज समझ में आया कि मैं ब्लॉगिंग इसलिए तो नहिं करना चाहूँगा कि मुझे लोग अपना लें और मेरी वाह वाही करें| मैं तो इस मकसद को अंजाम देने की नहिं सोच रहा हूँ| मैं तो ये चाहता हूं कि मैं अपने experience को उनके लिए share करूँ जिनको मेरे experience से कुछ सीखने को मिले और उससे वो अपनी zindagi में कुछ बेहतर कर सकें| और इसलिए मैं blog से ऐसे लोगों के साथ जुड़ने की चाहत रखता हूं और यही वजह है कि मैं ब्लॉगिंग करता हूं|
मुझे ब्लॉगिंग इसलिए करने की जरूरत है क्यूंकि –
- ये एक ऐसा माध्यम है जिसको मैं पसंद करता हूं
- मैं लिखने में काबिल हूं
- और मैं अपनी blogging से उन तमाम लोगों के पास पहुंचना चाहता हूं जिनको मेरी help की जरूरत है
- Help करने से लाइफ में मीनिंग(meaning) आती है
और अब आपको आगे इस blog पर बहुत कुछ सीखने को और जानने को मिले| मैं अपने आपको इस सोच तक पहुंचने में बेतहाशा सफल मानता हूं और इससे बड़ी जीत और क्या चाहिए