इंग्लिश सीखने के फायदे:
इंग्लिश में फिल्में देख सकते हैं
इंग्लिश में गाने सुन सकते हैं
इंग्लिश में ज्यादा से ज्यादा लोग से कनेक्ट हो सकते हैं। आप शायद तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ या और कोई भाषा ना जानते हों, फिर भी आप और वो इंग्लिश में कॉमन लैंग्वेज पर बात कर्वस्कते हैं।
इंटरनेशनल लेवल पर भी यह सत्य है कि विदेशों में दर्जनों भाषाएं बोली जाती हैं। तो यदि आपको बढ़िया इंग्लिश आती है तो आपके फॉरेन फ्रेंड्स बन पाएंगे और आप अपनी बातें , अपने विचार दुनिया भर के लोगों से शेयर कर पाएंगे।
इंग्लिश में बुक्स पढ़ सकते हैं। बुक्स पढ़ने से आप किसी भी फील्ड की नॉलेज को बहुत ही सस्ते में सीख सकते हैं। बुक्स पढ़ना एक mdh है। (Mdh – million dollar habits)
इंग्लिश को जानने वाले और समझने वालों को जॉब्स की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। शायद ये अपने आप में एकमात्र एक ऐसा कारण है कि इंग्लिश को पढ़ाने और सिखाने का दावा करने वाले आज मार्केट में सैकड़ों दुकानें खोल कर बैठ हैं।
इंग्लिश को पढ़ने से और समझने से हम एक और सभ्यता को जान सकते हैं और समझ सकते हैं। भाषा किसी भी कल्चर को अपने में संजोए रहती है।
इंग्लिश कंप्यूटर एज की भाषा है। जितने भी सॉफ्टवेयर बनते हैं , उन्हे ऑपरेट करने के लिए आपको इंग्लिश सीखना जरूरी है। इंग्लिश भाषा को कोडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इंग्लिश में आपका कीबोर्ड होता है। मैं तो रोमन इंग्लिश टाइप करता हूं और हिंदी में टाइपिंग हो जाती है। यदि यही काम मुझे हिंदी में टाइपिंग करनी पड़े तो शायद ना कर पाऊंगा।
इंग्लिश बोलने वाला और लिखने वाला सोशल मीडिया पर अपने ग्लोबल ऑडियंस तक पहुंच सकता है। इंग्लिश में गूगल है, इंग्लिश में फेसबुक है, इंग्लिश में ही इंस्टाग्राम भी है।
इस तरह इंग्लिश को सीखने के बहुत सारे फायदे हैं। तो क्या इंग्लिश को हम कुछ ही दिनों में या कुछ हफ्तों में सीख सकते हैं। क्योंकि इंग्लिश एक कला है और कला को सीखने के लिए आपको प्रैक्टिस की जरूरत है, में इस बात से सहमत नहीं हूं कि आपको इंग्लिश बोलना , लिखना या समझना कोई भी आपको कुछ ही हफ्तों में सीख सकता है।
इंग्लिश एक पावरफुल लैंग्वेज है जो आपको सामाजिक और आर्थिक स्तर पर आगे बढ़ाती है तो फिर इसे देश भक्ति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए और ग्लोबल सॉक्साइटी और ग्लोबल इकोनॉमी में जुड़ने का जरिया समझें।
पूरे संसार में सभी देशों में इंग्लिश को सीखने के लिए पहल हो रही है। इसलिए प्रत्येक नागरिक को इंग्लिश का नॉलेज होना ही चाहिए।
इंग्लिश को सीखने से आप अपनी जिंदगी का स्तर सुधार सकते हैं क्योंकि आपके जॉब मिलने के अवसर बढ़ जाते हैं। मैं खुद जब ग्रेजुएट हुआ कॉलेज से तो मुझे मेरी पहली जॉब इंग्लिश की वजह से मिली थी।
जहां पर मुझे मेरी डिग्री जॉब नहीं दिला पा रही थी और मुझे अपने खर्च चलाने के लिए या यूं कहें कि सर्वाइवल के लिए एक कॉल सेंटर में जॉब मिली जहां पर आपको इंग्लिश में अपने कस्टमर्स को अटेंड करना था।
न तो मुझे कार्य अनुभव की जरूरत थी और न ही किसी डिग्री की। मेरे साथ वहां पर ऐसे कई कर्मचारी सेलेक्ट हुए थे जो अभी भी कॉलेज में पढ़ रहे थे। इंग्लिश में अमेरिकन कस्टमर्स से बात चीत करनी होती थी। और पैसे भी ठीक ठाक मिल रहे थे।
यदि आपको इंग्लिश बोलना आता है और आप थोड़ा वेल ग्रूम्ड हैं तो आपको फस्ट जॉब मिलने में दिक्कत नहीं होगी। आप सेल्समैन बन सकते हैं कहीं भी। बैंक में, कार शोरूम में, किसी भी ऑफिस में, शॉपिंग मॉल में। आप अपना खर्चा तो आराम से निकाल ही लेंगे।
तो क्या वजह है कि इंग्लिश वाले को प्राथमिकता दी जाती है। देखिए जहां भी कस्टमर को अटेंड करना होगा वहां पर बहु भाषीय कस्टमर मिलेंगे। ऐसे में आप को अंग्रेजी आती है तो आप बड़े आराम से कस्टमर हैंडलिंग कर लेंगे।
कस्टमर सर्विस और सेल्समैन की जॉब्स के लिए आपको कोई खास डिग्री नहीं चाहिए। मगर फिर भी आपको अगर इंग्लिश आती है तो आपको जॉब मिल जायेगी।
तो मेरे प्यारे दोस्त, आपको अब ये बात समझ आ है होगी और आप मोटिवेटेड फील कर रहे होंगे इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद मुझे जरूर बताएं कि किस तरह आपकी इंग्लिश लर्निंग जर्नी चल रही है।
क्या इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर आप इंग्लिश सीखने के लिए मोटिवेटेड महसूस कर रहे हैं।