किताबें हमारी ज़िन्दगी सदा के लिए बदल देती हैं| किताबें ऐसी ताकत होती हैं कि वो लेखक और पाठक दोनों की दुनिया हमेशा के लिए बदल देती हैं| किताबों के जरिये दोनों बहुत कुछ नया देख पाते हैं – खुद में और दुनिया में|
लोईड एलेग्जेंडर
अगर किताबों के बारे में बात करें तो एक ऐसी किताब है जिसे हर उस इंसान को पढ़ना जरुरी है जो अपने सम्बन्ध दूसरों के साथ मधुर और शालीन बनाने के लिए सोचते हैं मगर सफल नहीं हो पा रहे|
अक्सर ऐसा कई बार होता है हमारे साथ कि हम जो कहते हैं उसका असर जिसे कहा उस पर कुछ उल्टा पड़ जाता है|या फिर कई बार ये भी हो जाता है कि हमें जो समझना चाहिए वो ना समझकर हम उसका मतलब उल्टा समझ लेते हैं| और इस समझ की हेर-फेर में हम दूसरों के साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाते|
दुनिया के जाने माने पर्सनल ट्रेनर, मोटिवेटर और लेखक, श्री डेल कार्नेगी जिन्होंने पर्सनल स्किल्स पर बहुत कुछ लिखा और कहा है, उनकी एक किताब – हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल (How to win friends and influence people) जरुर पढ़ें| ये किताब मूल रूप से अंग्रेजी में है| सहूलियत के लिए किताब को आगे HTWF कहकर पुकारेंगे| यदि आप इसे अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं तो बहुत बढ़िया अन्यथा किताब का हिंदी में और दुनिया की कई भाषाओँ में भी अनुवाद मिल जायेगा| हिंदी में अनुवादित किताब को नाम दिया है – लोक व्यवहार|
जैसा कि HTWF किताब के नाम पता चल रहा है जो बहुत ही सरल शब्दों में है, बतलाता है कि ये किताब हमें ये सिखा सकती है कि हम दूसरों के साथ किस तरह से व्यवहार करें कि वो हमारे दोस्त बन जाएँ| अक्सर जो गैप(Gap) होता है वो जिस वजह से हम दूसरों के साथ जुड़ नहीं पाते या दोस्ती नहीं कर पाते वो होती हैं हमारे अन्दर की हिचकिचाहट| हम हिचकते है दूसरों के पास जाने में या उनसे बात चीत शुरू करने में वो इसलिए कि हमें मन ही मन कई तरह के डर और शंकाएं सताती हैं| इन डर और शंकाओं की वजह है सही व्यवहार क्या होता है, इस जानकारी की कमी|
“पता नहीं मेरी बात उसे बुरी लग जाये? क्या पता मेरे ऐसा कहने पर उसका क्या रिएक्शन हो मेरी तरफ? कहीं मुझे ऐसा कहकर बाद में शर्मिंदा ना होना पड़ें” हमारे मन में ऐसे ही और कई सवाल उठते हैं जो हमारी दूसरों के साथ जुड़ने की प्रबल इच्कोछा को भी ध्वस्त कर देते हैं|
HTWF 1936 में प्रकाशित की गई थी| और तब से ये किताब दुनिया की बेस्ट सेलिंग बुक्स बनी हुई है जिसकी 3 करोड़ से अधिक copies अब तक बिक चुकी हैं| आज भी ये किताब युवाओं के बीच उतनी ही पॉपुलर है और इसे स्कूल और कॉलेज में पर्सनालिटी डेवलपमेंट कोर्स में पढाया जाता है| किताब को इतनी सरल भाषा में लिखा गया है कि कोई भी बड़ी आसानी से पढ़ सके और समझ पाए|
लेकिन इसे आत्मसार या यूँ कहें कि पूरी तरह समझने के लिए आपको सिर्फ पढ़ना ही काफी नहीं है| किताब में बताई बातों को अपनी लाइफ में अप्लाई(apply) करना ज्सयादा जरुरी है| इसलिए इसे आप इसे धीमी गति से पढ़ें| पढ़ते समय अपने साथ एक हाइलाइटर, पेन और नोट्स लिखने के लिए नोटबुक या डायरी जरुर अपने पास रखें|आप इस किताब को किसी भी दिशा में पढ़ सकते हैं| अलग अलग पहलुओं को अलग अलग चैप्टर का रूप दिया गया है| जो भी टॉपिक आपको पढने का मन करे या सबसे पहले पढने की जरुरत महसूस हो आप वही से शुरू कर दें| मगर मैं कहूँगा कि ऐसा करने से पहले एक बार किताब को क्रम में पढ़ लें| ऐसा करने से आपको दूसरी बार, तीसरी बार या उससे ज्यादा पढने पर हर बार कुछ नया सीखने को मिलेगा|
आइये अब जान लेते है कि किताब में क्या कुछ ख़ास है| किताब को मुख्यतः 4 भागों में बांटा गया है| पहले भाग में डाले कार्नेगी बताते हैं ऐसे तीन तरीके बताते हैं जो मूलभूत रूप से हम किसी तरह के इंसान को हैंडल करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं| किताब का पहला चैप्टर ही इस बात को प्रदर्शित कर देता है जिसका नाम उन्होंने कुछ इस प्रकार दिया है:
अगर आप शहद पाने के इच्छुक हैं तो फिर मधुमक्खी के छत्ते पर पैर ना रखें
डेल कार्नेगी
कार्नेगी का पहला स्टेप(step) जो आपको दोस्ती बनाने और बढाने में हेल्प करता है वो ये है कि आप कभी निंदा का करें| किसी की जब आप बुराई करते हैं तब आप ये भूल जाते हैं कि शायद आप भी अगर उसी जगह होते तो शायद वो ही करते| कार्नेगी के मुताबिक़ हम याद रखें कि इंसान जरूर न्याय पसंद प्राणी है मगर उसके अन्दर भावों का सागर है जो अपनी ही सोच में डूबा हुआ होता है और जिसको जगाने के लिए सम्मान और प्रोत्साहन की जरुरत पड़ती है, ना कि निंदा की| जब किसी की आप निंदा कर देते हैं तब आप उसको सही समझ देने के बजाय उसके भावों को ठेस पहुंचा देते है|
कार्नेगी ने ऊपर लिखी बात को बहुत ही रोचक तरीके से रियल लाइफ से कहानियों को उठाकर समझाया है| आप जरुर उनके तरीके को पसंद करेंगे|
दुसरे चैप्टर में उन्होंने ठीक पहले चैप्टर से जुड़ी बात कही है कि दोस्ती के लिए दूसरों में अच्छे गुणों को ढूंढें और उनकी सराहना करें| आप या मैं कोई भी परफेक्ट नहीं हैं तो क्यूँ ना हम दूसरों कि अच्छी बातों पर फोकस रखें| ऐसा करने से आप उनके दिल तक पहुँचने का पुल खड़ा कर सकते हैं| बस ध्यान रहे कि सराहना मन से और इमानदारी से की जाये|
और पहले भाग के तीसरे और आखिरी चैप्टर में कार्नेगी कहते हैं कि दोस्ती करने के लिए खुद की जरुरत के हिसाब से नहीं बल्कि सामने वाले की जरुरत के हिसाब से संवाद करें| जब आप किसी को ये बता पाते हैं कि आप उनके लिए कोई जरुरत पूरी करने में किस तरह सक्षम हैं तब आपसे दोस्ती की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं|
आइये देखते हैं डेल कार्नेगी के द्वारा HTWF में कही गईं कुछ मुख्य बातें :
दूसरो में रोचकता पैदा करें | दूसरों के नज़रिए से आप असहमत हों मगर उनके भावों से सहानुभूति रखें |
मुकराएँ | उनकी अच्छाइयों को गुदगुदाएँ |
दूसरों का नाम लेकर पुकारें | अपने संवादों को थोडा नाटकीय रूप दें |
ध्यान से सुनें | कभी कभी चुनौती दें |
दूसरों के विचारों को रेस्पेक्ट(respect) दें | चर्चा की शुरुआत सराहना से करें |
अपनी गलती दिखे तो तुरंत मान लो | परोक्ष रूप से दूसरों की कमियां दिखाएँ |
दूसरों के फायदे की बात करें | पहले खुद की कमियों को जागृत करें फिर दूसरों की |
बहस से बचें | निर्देशित करने के बजाय सवाल जवाब के रूप में कार्य को करने का तरीका खोजें |
दोस्ताना अंदाज़ में चर्चा की शुरुआत करें | दूसरों को अपनी झूटी बात से बचने का मौका दें |
ऐसी बातों से चर्चा शुरू करें जिसमे दूसरों कि रजामंदी हो | |
दूसरो को बोलने का ज्यादा मौका दें | |
दूसरों को श्रेय दें | |
दूसरों के नज़रिए से भी देखें | |
आइये अब HTWF से कुछ ऐसे कथन पढ़ें जो आपकी सोच को नया आयाम देंगे| इन्हें कोटेशन के रूप में मैंने अपनी किताब में हाइलाइटर से हाईलाइट कर लिया था|
यदि आप गलत हैं और अपनी गलती मान लेते हैं तो इससे कभी आपको समस्या नहीं होगी| ऐसा करने से आप बहस में अपना समय खराब करने से बच पाएंगे और अपने प्रतिद्वंदी को न्याय प्रिय और बड़ी सोच रखने वाला नज़र आएंगे| और आपका प्रतिद्वंदी भी अपनी गलतियाँ स्वीकार करने के लिए प्रेरित हो जायेगा|
सबसे बेहतरीन रास्ता जिस पर चलकर आप दूसरों में बेस्ट(best) खोज पाएंगे वो है सच्ची सराहना और प्रत्साहन से|
आप 2 महीने में उतने दोस्त बना सकते हैं जो शायद कोई दूसरा 2 साल में ना बना पाए अगर आप सिर्फ एक बात करें – दूसरों की दिलचस्पी खुद में बढ़ाने के बजाय आप दूसरों में दिलचस्पी लेना शुरू कर दें|
सिर्फ एक ही तरीका है दूसरो को प्रभावित करने का: आप उन्हें ये बताएं कि वो क्या चाहते हैं और उस तक कैसे पहुँच पाएंगे|
यदि आप दूसरों में थोड़ी सी कोई अच्छी बात को सराहेंगे तो वो उसे और बढाने की कोशिश करेंगे| सराहना सबको पसंद है|