बेहतर जिंदगी जीना अपने आप में एक बहुत बड़ी कला है और जैसे कोई भी कलाकार अपनी कला में कभी ये नहिं कहता की, “बस, हो गया और अब नहिं रह गया कुछ सीखने को” उसी तरह हम भी अपनी जिंदगी को कभी ये ना कहें कि, “बस और नहिं अब, जितना सीखना था सीख लिया हमने “|
और इस कड़ी में आज जो बात मैं आपसे कहने जा रहा हूं वो ये है कि आप कभी अपनी निंदा से दूर ना भागें |
हिन्दी में एक बहुत मशहूर कहावत है :
इस का मतलब ये है कि आप की निंदा करने वालों से दूर नहिं, पास रहिए | ऐसा इसलिए करें क्यूंकि वो आपकी बुराइयों को उसी तरह दूर कर देते हैं जिस तरह एक साबुन मेल को निकाल कर दूर कर देता है |
बुराई करने वाला इंसान आपकी कमियों पर ध्यान देता है | वो आपकी काम और कड़ी पकड़ने की ताक में रेहता है | उसे बस मौका चाहिए कि आपकी काम और कड़ी को उजागर कर दे | और इसके लिए उसे आपको बहुत बारीकी से देखने और परखने की जरूरत है |
हम जो तारीफ के भूखे होते हैं, कई बार अपनी कमियों को देख नहिं पाते| खुद को तो कोई भी भगवान मान ले मगर जब तक दूसरे उस भगवान के दर्शन ना कर लें, भगवान नहिं हैं इस दुनिया में |हम खुद को काबिल समझें मगर हमेशा याद रहे कि सुधार की संभावना हमेशा बनी रहती है |
शायद यही कारण है कि देश की व्यवस्था को चलाने के लिए आपको पार्टी विपक्ष की जरूरत महसूस होती है | विपक्षी पार्टी आपकी लगाम कास के रखती है और जैसे ही कोई काम ढीला होता है, तो तुरंत उसकी कमियां गिना ने लगती हैं | इस कारण से सत्ता में रहने वाली पार्टी को ध्यान पूरा के काम करने की जरूरत पड़ती है और लोकतंत्र मजबूत बनता है |
सच्च दोस्त भी उसे ही माना गया है जो आपकी कमियां आपको बताकर आपको और बेहतर बना दे | निंदा करने वाले लोग अक्सर दुष्मन समझे जाते रहे हैं क्यूंकि निंदा से मकसद आपको गिरना होता है | मगर ये तो आपके ऊपर है कि आप अपनी निंदा सुनकर परेशान होने लगें या फिर अपने में सुधार करने की संभावना ढूढ़ना शुरू कर दें |
आज मैं जहां भी जिस मुकाम तक पहुंच पाया हूँ उस तक पहुंचाने के पीछे मेरे कमियां निकालने वालों का बहुत बड़ा हाथ है | ना वो मेरी कमियां गिनाते और ना मैं अपने आपमें असंतुष्ट होता और ना शायद मैं अपने जिंदगी में कभी अपनी तलाश में निकालता| जिसकी लाइफ में सब कुछ बढ़िया चल रहा हो या जो सिर्फ तारीफ पाए उसको लगता है कि दुनिया ऐसी ही है जो हमेशा आपको चाहेगी |
मगर ये जिंदगी चुनौतियों से पग पग पर मुलाकात होती है और हम जितना अपने आपको घिसे गे उतना चमके गे और उन परेशानियों से परेशान होने के बजाय आपने आपको और भी ऊंचाईयों तक ले जाएंगे | क्यूंकि उठती लहरों से ही आप ऊपर उठ सकते हैं और चट्टानों से टकराकर ही आप में मजबूती आएगी |
निंदक को प्रशंसक बनने में समय नहिं लगता | समय लगता है तो वो है आपने आपके ऊपर काम करने में | इसलिए बिना और समय गंवाए अपने कमियां गिनाने वालों को शुक्रिया बोलें और आगे बढ़ते रहें |