अक्सर यही संदेह रहता है कि हम जो कर रहे हैं वो सही कर रहे हैं या फिर यूं ही अपना समय और संसाधन खराब कर रहे हैं।
तो सबसे पहली बात ये समझ में आ गई है कि हर काम का, हर कृत्य का मकसद भौतिक फायदा नहीं होता है। जब हम फायदे और नुकसान के चक्कर में पड़ जाते हैं तो हम फंस जाते हैं। चलिए कुछ उदाहरण देकर आपको स्पष्ट करता हूं।
मुझे लिखना और पढ़ना पसंद है। मुझे बचपन से किताबों से लगाव रहा है। इसलिए किताबें मुझे अपनी तरफ खींचती हैं। शायद मुझे सीखना पसंद है। अब मुझसे कोई ये पूंछे कि भाई तुम हमेशा किताब ही पढ़ते रहते हो। तो तुम्हे इससे क्या फायदा ?
अक्सर लोग पढ़ने को किसी आर्थिक लाभ से जोड़ते हैं। जैसे उनके लिए पढ़ने का मतलब डिग्री लेना या कोई खास तरह का कोर्स करना या फिर उससे ऑफिस में या फिर अपने फ्रेंड सर्कल में इंप्रेशन जमाना हो सकता है।
लेकिन जब मैं पढ़ता हूं तो मैं इन सब बातों को सोचे बिना अपनी बुक्स सेलेक्ट करता हूं। कभी मुझे कोई इतिहास का विषय तो कभी मुझे सेल्फ ग्रोथ तो कभी खेल या कभी कोई टॉपिक पर पढ़ना पसंद है। मगर मैं ये नहीं सोचता हूं कि मैं फलां किताब पढूंगा तो मुझे ये फायदा हो जायेगा। मैं तो सिर्फ उस समय अपनी जिज्ञासा को पूरा करने के लिए और कुछ सीखने की मानसिकता से हो वो किताब या कोई विषय पकड़ता हूं।
मुझे लगता है ये सोच अपने आप में बहुत छोटी है। जाहिर सी बात है कि आप जो भी करते हैं उसका आपकी लाइफ पर पॉजिटिव असर पड़ रहा है मगर उसका आर्थिक या सामाजिक रूप से आंकलन करना और उसे सबसे उच्च स्थान देना गलत होगा।
इसलिए जो भी समझें या आप महसूस करें वो काम, वो कृत्य करें। आप बस ये अपने आप को समझा दें कि किसी के लिए फूहड़ कॉमेडी सर्कस अगर विनोद या मनोरंजन का साधन है तो आपके लिए किताबें पढ़ना या लेख लिखना हो सकता है।
आप हॉबी या दिलचस्पी को सिर्फ हॉबी या दिलचस्पी मानकर करें उसमें फायदे मत ढूंढें तो आपको खुशी महसूस होगी।
जरूरी नहीं कि हर काम उपलब्धि हासिल करने के लिए किया जाए। जिंदगी में वो करना जो हमें अपने अंतर्मन से जोड़े बहुत जरूरी है क्योंकि उसके बिना हमारी जिंदगी अधूरी है।
अब इसका मतलब ये भी नहीं है कि अगर आपकी हॉबी को आप किसी फायदे के लिए इस्तेमाल करें तो वो गलत है। मैं सिर्फ इतना कह रहा हूं कि आप फायदा और नुकसान को अपनी कभी भी प्राथमिकता बनाकर ना चलें। उसके अन्य पहलुओं पर भी सोचें और उन्हे पनपने दें। इससे आप दीर्घ काल में जिंदगी में आगे ही निकलेंगे।
शायद यही बात स्टीव जॉब्स कहना चाह रहे थे जब उन्होंने लेक्चर में “कनेक्ट थे डॉट्स” की कहानी बताई। उन्होंने ये भी कहा कि आप आज जो कर रहें हैं वो शायद आपकी जिज्ञासा की वजह है लेकिन क्या पता कल वो चलकर क्या रूप ले ले। स्टीव जॉब्स ने आगे चलकर अपनी कंपनी “एप्पल कंप्यूटर्स” शुरू की जिसमें उन्होंने कुछ ऐसी चीजें बनाई जो उनके पूर्व के जीवन में उन्होंने मात्र अपनी जिज्ञासा को पूरा करने के लिए किया था।
इसको उन्होंने बड़े खूबसूरत तरीके से अंग्रेजी में कहा कि…You can connect the dots only backwards. So, follow your curiosity.