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जिज्ञासा और आश्चर्य – जिंदगी को बनाएँ बेहतर

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दो चीज़ें हैं ज़िन्दगी में जो हमें जिंदा बनाये रखती हैं – Curiosity और wonder|  क्या होते हैं ये दोनों, आइये जानें :

Curiosity(क्यूरिओसिटी) का हिंदी में मतलब है जिज्ञासा|  और जिज्ञासा का मतलब है जानने की, समझने की चाह|  जब हम बच्चे होते हैं तब हमारे भीतर क्यूरोसिटी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है|  क्या आपने कभी एक छोटे बच्चे को देखा है जो 6 महीने से एक बरस के बीच का होता है वो हर चीज़ को मुह में लेता है |  जानते हैं कि वो ऐसा क्यूँ करता है|  वो ऐसा इसलिए करता है क्यूंकि उसमें क्यूरोसिटी रहती है किसी भी चीज़ को जाने की और समझने की|  बचपन में जब बच्चे आसमान को देखते हैं वो सोचते हैं कि तारे कितनी पास होंगे|  वो उन्हें पकड़ना चाहते हैं| 

इस जिज्ञासा को हम जीवन कहते हैं|  बचपन में हमें दुनिया बड़ी खूबसूरत नज़र आती है|  धरती पर अमन ही अमन दिखाई देता है|  और फिर जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं वो अपनी इस अद्भुत शक्ति को खोते जाते हैं|  उनके सवाल कम होने लगते हैं|  मगर अगर आप अपने अन्दर उस बालपन की क्यूरोसिटी को जिंदा रख पाए तो आप अपनी वही ताजगी ज़िन्दगी भर महसूस करते रहेंगे|  हम जब दुनिया मे आये हम किसी समाज के बंधन को नहीं जानते थे|  बस हमारे अन्दर वो समाज घर ना बना पाए और हम अपने आपको आज़ाद रख पायें ऐसा बनाकर रखें| 

आप ऐसे काम करते रहें, ऐसे सवाल उठाते रहें जो आपकी जिज्ञासा को और बढाए|  मैं इस बात को मानता हूँ कि अगर हम जिज्ञासु बने रहेंगे तो हमें हर चीज़ में कुछ सीखने को और समझने को मिलेगा|  समस्या में समाधान मिलेगा| 

और जो दूसरी चीज़ है Wonder: Wonder मतलब अचरज, आश्चर्य|  मैं आज भी छोटी से छोटी चीज़ को जब देखता हूँ और जब उसमे मुझे कोई कमाल नज़र आता है तो मैं उस कमाल को, उस अचरज को एक बच्चे कि तरह देखकर बहुत सराहता हूँ| जैसे मैं कई बार सोचता हूँ कि ये कोई जादू से कम नहीं कि मैं अपनी टेबल पर बैठकर ये ब्लॉग पोस्ट टाइप कर रहा हूँ और इसको आप पता नहीं देश दुनिया के किस कोने में बैठकर पढ़ रहे हो|  ये बात मुझे एक जादू से कम नहीं लगती|  आज हम जब चाहे किसी से भी विडियो कॉल करके कहीं भी किसी समय बातचीत कर सकते हैं और जुड़ सकते हैं|  ये कमाल नहीं तो क्या है| 

आज की पीढ़ी के लिए सामान्य बात हो सकती है मगर हमारे लिए तो ये एक जादू से कम नहीं|  कभी कभी ये भी सोचता हूँ कि ये दुनिया कैसे बनी होगी|  किसने इस दुनिया की शुरुआत की होगी| 

मेरी इन दो बातों(क्यूरोसिटी और वंडर) ने मुझे बांधे रखा है|  जो दुनिया के महान लोग हुए हैं उनमे क्यूरोसिटी और वंडर दोनों बहुत ज्यादा मात्र में पाया गया है|  वो अपने काम को लेकर, अपने मिशन को लेकर सदैव उत्सुक बने रहते हैं| 

आप इन दो गुणों को अपनी ज़िन्दगी में जरुर अपनाएँ|  आप देखेंगे कि क्यूरोसिटी और वंडर आपको कभी ज़िन्दगी से ऊबने नहीं देंगे|  ज़िन्दगी में आपकी रोचकता बनी रहेगी| 

क्यूरोसिटी को हम इसलिए खो देते हैं क्यूंकि हम अपनी ज़िन्दगी को बड़ी रफ़्तार से जीने लगते हैं| ऐसा लगने लगने लगता है कि बहुत कुछ है करने को है लेकिन हम सब कुछ समेट नहीं पा रहे| और ज्यादा से ज्यादा समेटने के चक्कर में रफ़्तार इतनी तेज कर लेते हैं कि सिर्फ मंजिल तक पहुंचना ही लक्ष्य बनकर रह जाता है| जीवन में लक्ष्य इसलिए चाहिए कि आप को दिशा मिलती रहे लेकिन जब हम अन्धी दौड़ लगाने लगते हैं जहां हम सबको पछाड़ने में व्यस्त हो जाते हैं, अपने आप से ही अलग हो जाते हैं| हम उत्सुक और उत्साहित रहने के बजाय साबित करने में लग जाते हैं कि हम कितने महान हैं और हमारी सोच कितनी सही है|

अपने अन्दर की जिज्ञासा को कायम रखने के लिए खुद को अंधी दौड़ से दूर रखें| क्यूंकि कोई कितनी भी अच्छी दौड़ लगाएगा उसको भी एक दिन अपनी दौड़ का अंत वही मिलेगा जो बिना दौड़े मिलेगा| जब तक हम इस धरती पर हैं खुली और सुकून की सांस लेते हुए विचरण करें| हम सिर्फ उतने ही काम अपने ऊपर लें जिनको करते हम अपने आस-पास नज़र घुमाकर देखने की फुर्सत निकाल पायें| हम सुबह उठें तो हमें उठते ही ऑफिस कि चिंता नहीं उगता सूरज याद आये, फूलों से बिखरती खुशबु हमें खींचे ना कि WhatsApp पर बीप करते मेसेज और स्टेटस |

मन में इच्छा जगे अपने आस पास को जानने की, देश दुनिया के अजूबों को जानने की| हमारी जिज्ञासा हमें सनसनी खेज ख़बरों में नहीं दुनिया में प्रकृति की बिखरी छटा को देखने के लिए आतुर हो| ऐसी क्यूरोसिटी को हम अपने अन्दर कायम करें| तब आप के अन्दर अद्भुत सपनों के बीज पनपेंगे और और आप ज़िन्दगी से ऊबने के बजाय सुबह आतुरता से उठने के लिए बिस्तर छोड़कर तैयार खड़े होंगे|

हमारी ज़िन्दगी इसलिए बोझिल हो जाती है क्यूंकि हम रुक कर सुकून की सांस लेना भूल जाते हैं| हम ये भूल जाते हैं कि जीवन अल्पकालीन है| और हमारे पास समय सीमित है| और ये समय जितना मधुर आज और इस वक़्त है शायद फिर हो ना हो| इसलिए अपने मन को बाल मन की जिज्ञासा और अचरज भरी भावना से ओत प्रोत रखें|

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