Categories
दिल की कलम से

दिल की कलम से – 01

ज़िन्दगी को वेस्ट(waste) करने के बजाय, ज़िन्दगी को टेस्ट(taste) करें

बेहतर ज़िन्दगी

Thank You Blog Makers

ये मुमकिन नहीं था कि मैं अपने विचार अपने घर की टेबल पर बैठ कर इतनी सरलता से पूरी दुनिया में पहुंचा सकूँ| धन्य है वो लोग जिन्होंने वर्डप्रेस जैसे blogging के प्लेटफार्म तैयार किये| मेरा बचपन से ये सपना रहा कि मैं एक दिन writer बनूँ| मैं बचपन से किताबें पढता आया हूँ| इसलिए हमेशा ये इच्छा पैदा होती कि मैं भी कभी शब्दों का जादू बिखेर पाऊं| तो जब मुझे blogging के बारे में पता चला, मैंने अपने writer बनने का सफ़र शुरू कर दिया|

blogs पर मैं अपनी पूरी आजादी से अपने विचार लिख सकता हूँ| और आप जैसे प्यारे लोग जो मेरा लेख लिखना पसंद करते हैं, कहीं भी बैठे कभी भी पढ़ सकते हैं| क्या इससे बड़ा जादू और कुछ हो सकता है|

12th Fail

12th फेल: फिल्म

आजकल एक फिल्म चल रही है Disney-Hotstar पर| उसका नाम है – 12th फ़ैल| मैंने कुछ दिनों पहले ये फिल्म देखी| गजब की फिल्म बनाई है डायरेक्टर ने| फिल्म की कहानी कुछ इस तरह से आपको बाँध लेती है कि आप उठने का नाम न लें| और जो अगर आप को बैठने की सीट ना मिले तो खड़े-खड़े फिल्म देखकर भी ऐसा लगे कि बस चलती जाय| यदि आप एक बढ़िया फिल्म की तलाश में हैं बहुत दिनों से तो ये फिल्म जरूर आपके इंतज़ार को ख़त्म कर देगी|

फिल्म की कहानी के पात्र वास्तविक हैं – यानि Real| कहानी भी सच्ची है| ये कहानी दो सिविल सर्विस aspirants के इर्द-गिर्द घूमती है| कहानी बड़ी खूब सूरती से एक घरेलू मिडिल क्लास परिवार के सपनों और उनसे जुड़े संघर्ष को दिखलाती है| ऐसा लगता है जैसे हम उसी दुनिया में कहीं मौजूद हैं और ये सब चल रहा है| शायद यही saucy-secret है इस फिल्म के इतने सफल होने का|

इसलिए प्लीज, इस फिल्म को स्किप ना करें और देखकर बताएं कि कैसी लगी| हम इस कहानी के Real-Life Counter parts के बारे में एक अलग से ब्लॉग में चर्चा करेंगे|

Books

2023 भी चला गया| 2022 में मैंने एक संकल्प लिया था| एक resolution – जो अभी भी सिर्फ एक resolution ही बनकर बरकरार है| मैंने 2022 में अपने आप से ये promise किया था कि मैं साल भर में कम से कम 2-3 किताबें जरूर पढूंगा| लेकिन अभी तक मकसद में कोई सफलता नहीं मिली है| मैंने निराश तो हुआ हूँ मगर हताश नहीं| और फिर इस उम्मीद से कि ये साल कुछ productive होगा किताबों को पढने में, एक बार फिर 2024 में 24-25 किताबें पढने का खुद से promise कर रहा हूँ|

देखते हैं कि कितना कामयाब होता हूँ इस साल| अगर आप भी किताबें पढने का इस साल संकल्प लिए हैं तो मुझे जरूर बताएं| मुझे बड़ी हिम्मत मिलेगी| और हाँ साथ में कुछ अच्छी और दिलचस्प किताबों के नाम कमेंट्स बॉक्स में छोड़ना ना चूकें| मुझे आपकी पसंदीदा किताबें जानने का इंतज़ार रहेगा|

किताबें नहीं पढ़ पा रहा हूँ मगर ऐसा नहीं नही कि मैं कुछ भी नहीं पढ़ पा रहा हूँ| रोजाना अखबार पढने का mini-mission पूरा कर ही लेता हूँ| पूरा अखबार तो नहीं फिर भी रोचकता वाली ख़बरें आखों से नहीं चूकती| मेरा पसंदीदा अखबार “The Hindu” एक दिन लेट आता है लेकिन उसे पढ़ने में मज़ा आ जाता है| सिविल सर्विस और बैंक पी.ओ. की तय्यारी के दिनों में 4 अखबार पढ़ा करते थे| शायद उसी की वजह आज भी पढने का चस्का बरकरार है|

The Hindu

ख़बरों को देखने में वो मज़ा नहीं जो चित्रों के साथ शब्दों को कागज़ पर देखने में है| दुनिया भर से मजेदार ख़बरें एक साथ परोस देता है अखबार जैसे थाली में परोस दी हो|अब आप चाहे जहां से शुरू करें और जहां चाहे ख़त्म करें| और चाहे जितनी बार अलटा- पलटा के देखें| ये सब एक अखबार में ही हो सकता है – टीवी चैनल पर नहीं, YouTube चैनल पर नहीं| आप भी अंग्रेजी का लुत्फ़ उठाना चाहते हैं तो “The Hindu” जरुर पढ़ें – आनंदित हुए बिना नहीं रहेंगे| खासकर मेरे वो दोस्त जो अपनी अंग्रेजी improve करना चाहें|

अगर आपको कोई भी न्यूज़ टॉपिक पर कोई जिज्ञासा हो और उसको हिंदी भाषा में चाहें तो मुझे बताएं| अगर उसके लिए डिमांड समझ में आएगी तो जरूर उसके ऊपर ब्लॉग पोस्ट तैयार करूँगा|

ठंडी का मौसम

ठंडी का मौसम चल रहा है| आज ही मकर संक्रांति का पर्व था| सूर्य देवता दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश कर रहें हैं| जो मस्त ठंडी पद रही है अब धीरे धीरे कम होगी और धरती धीरे-धीरे गरम होगी| दिन लम्बे होंगे और रातें छोटी होती जाएँगी| ठण्ड का मौसम मेरा पसंदीदा है| जो चाहे वो खाएं| पूरी तरह हजम कर लेंगे| मार्किट में फल और सब्जियां की भरमार है| और वो भी ठीक ठाक दामों पर| ना पसीना आता है और ना कही धूल ही उड़ती है| वजन जरूर थोडा बढ़ जाता है| कोई बात नहीं, फिर पसीना बहा लेना|

ठंडी में सन्डे के दिन छत बड़ी प्यारी लगती है| वो छत ही है जहां सूरज की किरणें पहुँचती हैं| बस मन करता है खाओ और वहीँ छत पर पड़े रहो| जहां मैं चाय पीने से परहेज करता हूँ, ठंडी में दिन भर में कम से कम दो कप चाय तो पी ही जाता हूँ| चाहे घर पर रहूँ या ऑफिस में|

Conclusion

तो दोस्तों ये मैंने पहली पोस्ट लिखी है – दिल की कलम से | इसे मैं एक सीरीज में लिखने जा रहा हूँ| जब भी आप से बातें कहने का मन करेगा मैं अपनी दिल की कलम से में आपसे वो बाते कहूँगा| आप अपना ख्याल रखें|

0Shares