नई दिल्ली में आज कल मुख्यमंत्री के रूप में श्री अरविंद केजरीवाल काम कर रहे हैं। तो क्या हम ये समझें कि नई दिल्ली एक राज्य का दर्जा प्राप्त है। या फिर नई दिल्ली देश की राजधानी है? क्या है नई दिल्ली का दर्जा देश में ?
स्कूली ज्ञान क्या कहता है
यदि हम स्कूली ज्ञान के हिसाब से जाएं तो हमें ये बताया गया है कि नई दिल्ली देश की राजधानी है और ये एक केंद्र शासित प्रदेश है। भारतीय संविधान ये बताता है कि जो केंद्र शासित प्रदेश हैं उनको सीधे केंद्र सरकारी के निगरानी में रखा जायेगा। और इसलिए नई दिल्ली को नियंत्रित करने के लिए केंद्र के द्वारा एक लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया जाता है।
इस तरह देखें तो नई दिल्ली को स्थिति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अलग है क्योंकि यहां पर नई दिल्ली को तीसरा टाइटल भी दिया गया है देश की राजधानिबके रूप में।
तो ऐसा क्यों ? ये बात जानने के पीछे दिलचस्प तथ्य छिपे हैं। आइए उन्हे जानें।
सन 1956 तक दिल्ली को सिर्फ एक राज्य का दर्जा प्राप्त था। लेकिन 1956 में राज्यों को पुनर्व्यवस्थित किया गया State reorganisation act के तहत। और तभी दिल्ली को केंद्रीय स्तर पर महत्व देने के लिए एक राज्य से एक केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया।
राज्य का दर्जा
पहले देखते हैं कि दिल्ली एक राज्य कैसे है? दिल्ली में आज भी आम चुनाव होते हैं जिसमे मुख्यमंत्री और उनके विधायकों का चुनाव किया जाता है। मंत्रिमंडल और पार्टी विपक्ष के बीच बहस और कानून पारित air पास करने के लिए एक विधानसभा भी है। और अलग अलग विभागों के लिए कैबिनेट स्टार्ट के मंत्री भी मनोनीत किए जाते हैं।
केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा
अब ये देखते हैं कि दिल्ली में मुख्यमंत्री और उनके मंत्री मंडल के होते एक केंद्र शासित प्रदेश कैसे है ? दिल्ली में जहां एक ओर मुख्यमंत्री जी बैठते हैं और दिल्ली के लिए कानून बनाते हैं और कार्यपालिका का काम करते हैं वहीं केंद्र अपने लेफ्टिनेंट गवर्नर को नियुक्त करता हुआ जो सीधे केंद्र को रिपोर्ट करता है। तो हम ये कह सकते हैं कि यहां पर प्रधानमंत्री जी ही अपना शासन चला रहे हैं।
इस प्रकार दिल्ली एक राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश दोनो रूप में विद्यमान है।और यही वजह है कि आए दिन दिल्ली में हमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच में कुश्ती होती दिखाई देती है। जब तक केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी सत्ता में है तो ठीक है मगर यदि दोनो अलग अलग पार्टी के अंतर्गत हैं तो उनके बीच विरोध उत्पन्न होना लाजमी है।
इस तरह दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा अभी भी प्राप्त नहीं है। ये बात सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुकी है लेकिन अभी तक इस पर कोई पुख्ता राय नहीं बन पाई है।